Sunday, May 30, 2010

श्री गणेश जी की आरती

जय गणेश जय गणेश जय गणेश देवा .
माता जाकी पार्वती पिता महादेवा ..

एकदन्त दयावन्त चारभुजाधारी
माथे पर तिलक सोहे मूसे की सवारी .
पान चढ़े फल चढ़े और चढ़े मेवा
लड्डुअन का भोग लगे सन्त करें सेवा ..

अंधे को आँख देत कोढ़िन को काया
बाँझन को पुत्र देत निर्धन को माया .
' सूर' श्याम शरण आए सफल कीजे सेवा
जय गणेश जय गणेश जय गणेश देवा ..

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