Sunday, May 30, 2010

आरती श्री रामचंद्रजी की

आरती कीजे श्री रामचंद्र की ।
दुष्टदलन सीतापति जी की ॥
पहली आरती पुष्पन की माला,
काली नाग नाथ लाए गोपाला ॥
दूसरी आरती देवकी नंदन,
भक्त उबारन कंस निकंदन ॥
तीसरी आरती त्रिभुवन मोहे,
रत्न सिंहासन सीता राम जी सोहे ॥
चौथी आरती चहुं युग पूजा,
देव निरंजन स्वामी और न दूजा ॥
पांचवीं आरती राम को भावे,
रामजी का यश नामदेवजी गावें ॥
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