Thursday, June 17, 2010

आरती श्री गणेशजी की



जय गणेश जय गणेश जय गणेश देवा l माता जाकी पारवती पिता महादेवा ll
एकदन्त दयावन्त चारभुजाधारी, माथे पर तिलक सोहे मूसे की सवारी l
पान चढ़े फल चढ़े और चढ़े मेवा, लड्डुअन का भोग लगे सन्त करें सेवा ll
अंधे को आँख देत कोढ़िन को काया, बाँझन को पुत्र देत निर्धन को माया l
'सूर' श्याम शरण आए सफल कीजे सेवा, जय गणेश जय गणेश जय गणेश देवा ll

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