Thursday, June 17, 2010

श्री हनुमान जी की आरती


आरति कीजै हनुमान लला की l दुष्ट दलन रघुनाथ कला की ll
जाके बल से गिरिवर काँपे, रोग दोष जाके निकट न झाँके l
अंजनि पुत्र महा बलदायी, संतन के प्रभु सदा सहायी ll
आरति कीजै हनुमान लला की …
दे बीड़ा रघुनाथ पठाये, लंका जाय सिया सुधि लाये l
लंका सौ कोटि समुद्र सी खाई, जात पवनसुत बार न लाई ll
आरति कीजै हनुमान लला की …
लंका जारि असुर संघारे, सिया रामजी के काज संवारे l
लक्ष्मण मूर्छित पड़े सकारे, आन संजीवन प्राण उबारे ll
आरति कीजै हनुमान लला की …
पैठि पाताल तोड़ि यम कारे, अहिरावन की भुजा उखारे l
बाँये भुजा असुरदल मारे, दाहिने भुजा संत जन तारे ll
आरति कीजै हनुमान लला की …
सुर नर मुनि जन आरति उतारे, जय जय जय हनुमान उचारे l
कंचन थार कपूर लौ छाई, आरती करति अंजना माई ll
आरति कीजै हनुमान लला की …
जो हनुमान जी की आरति गावे, बसि वैकुण्ठ परम पद पावे l
आरति कीजै हनुमान लला की, दुष्ट दलन रघुनाथ कला की ll
आरति कीजै हनुमान लला की …

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