Sunday, May 30, 2010

श्री विष्णु जी की आरती

ॐ जय जगदीश हरे स्वामी जय जगदीश हरे |
भक्तजनों के संकट क्षण में दूर करे॥
जो ध्यावें फल पावै दुख बिनसे मन का |
सुख संपत्ती घर आवें कष्ट मिटे तन का॥ ॐ जय जगदीश.....
मात पिता तुम मेरे शरण गँहू किसकी |
तुम बिन और न दूजा आस करुँ जिसकी॥ ॐ जय जगदीश.....
तुम पुरण परमात्मा तुम अंतरयामी |
पारब्रम्ह परमेश्वर तुम सबके स्वामी॥ ॐ जय जगदीश.....
तुम करुणा के सागर तुम पालनकर्ता |
मैं मूरख खल कामी कृपा करो भर्ता॥ ॐ जय जगदीश.....
तुम हो एक अगोचर सबके प्राणपती |
किस विधी मिलूँ दयामय तुमको मैं कुमति॥ ॐ जय जगदीश.....
दीनबंधु दुखहर्ता तुम ठाकुर मेरे |
अपने हाथ उठाओं द्वार पडा मैं तेरे॥ ॐ जय जगदीश.....
विषय विकार मिटाओं पाप हरो देवा |
श्रद्धा भक्ति बढाओं संतन की सेवा॥ ॐ जय जगदीश.....
तन मन धन सब कुछ हैं तेरा |
तेरा तुझ को अर्पण क्या लागे मेरा॥ ॐ जय जगदीश....
जगदीश्वरजी की आरती जो कोई नर गावे |
कहत शिवानंद स्वामी मनवांछित फल पावे॥ ॐ जय जगदीश.....
ॐ जय जगदीश हरे स्वामी जय जगदीश हरे |
भक्तजनों के संकट क्षण में दूर करे॥ ॐ जय जगदीश.....

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